संस्था का इतिहास

आज उत्तराखंड राज्य प्रवासन के बड़े खतरे से जूझ रहा है। इतने बड़े पैमाने पर इस राज्य के युवकों के प्रवासन के कारण इस राज्य की अधिकतर आय मनीआडर  पर आधारित है। इसी कारण इस राज्य की अर्थव्यवस्था को “मनीआडर इकॉनमी ” का उप नाम भी दिया जाता है। प्रवासन के मुख्य कारक हैं:-

  1. स्कूली शिक्षा में गुणवत्ता की कमी।
  2. चिकित्सा सुविधाओं और इच्छुक चिकित्सा कर्मियों का अभाव।
  3. कौशल अर्जन करने के अवसरों की कमी।
  4. रोजगार के अवसरों की कमी
  5. कठिन रहन-सहन की परिस्थितियां

हेराल्ड जूनियर अकाडमी एक पहल है जिसमें समाज के निचले स्तर पर मौजूद बच्चों को उत्तम शिक्षा देना और उनमें नैतिक मूल्यों का संचारण करना है। यह एक गैर-लाभाकारी संस्था है विशेष रूप से इसका गठन घंडियाल में शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए किया गया है जो कि पौड़ी जिले के कल्जीखाल ब्लाक में स्थित है। इसकी स्थापना 1984 में इसके संस्थापक श्री सुनील गुसांई पुत्र स्वर्गीय श्री जगत सिंह गुसांई , ग्राम-डंगू, विकासखंड कल्जीखाल, जिला-पौड़ी गढ़वाल, के द्वारा की गई थी।

प्रारम्भ से 2000 तक स्कूल नर्सरी से पांचवी कक्षा तक था 2001 में, स्वर्गीय श्री धीरेन्द सिंह रावत, पुत्र स्वर्गीय श्री सुल्तान सिंह रावत, ग्राम-ओल्ना, विकासखंड कल्जीखाल, संस्था के अध्यक्ष बने। उन्होने राज्य शिक्षा बोर्ड से मान्यता प्राप्त करने के बाद स्कूल को आठवीं कक्षा तक की मान्यता दिलवायी। साथ ही 07 सदस्यों की एक सोसाईटी का गठन किया गया और संस्था को सोसाईटी पंजीकरण अधिनियम 1860 के तहत पंजीकृत करवाया।

इसके उपरान्त 2003 में पुरानी समिति के इस्तीफे पर श्रीमती अनीता गुसांई के सक्षम मार्ग निर्देशन के अन्तर्गत एक नई समिति का गठन किया गया। समिति ने अगस्त 2018 तक स्कूल का निर्देशन किया। बाद में समिति के सदस्यों ने घरेलू तथा व्यक्तिगत कारणों से इस्तीफा दे दिया, चूंकि वे स्कूल के काम-काज में अपना उपयोगी समय नहींं दे पा रहे थे जिससे स्कूल के प्रबंधन और संचालन में बाधा आ रही थी